Wednesday, 8 February 2012

Vo Beti ab Main Kahan se Laaun -- Hindi Poem.







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~*~वो बेटी अब मे कहा से लाउ........... ~*~ 

मन करता था हमेशा एक बेटी मेरे घर भी होती 
ख्वाब यही था वो आँगन मेरा महकाती होती 

चाहत दिल मे उभरती वही ख़तम हो जाती थी 
नाराज़ रब के सामने ना एक भी कारी फाती थी 

एक दिन वो अचानक से ख्वाब सी मेरी ज़िंदगी मे आई 
जो देखा था ख्वाब वो सच करने को जैसे आज आई 

मासूम सी थी वो सूरत जैसे परिलोक से वो आई 
हसती थी जब वो फूलवारी खिलती जाती थी 

मिलना मुश्किल था उस को दूर जो थी वो बसी 
किल्कारी उस की हसी की गम उड़ाए ले जाती थी 

खुश था,थी खुश ज़िंदगानी पाके खुशी बेटी की 
महसूस होती थी पास चाहे तस्वीर मे वो बेथी थी 

अचानक गुरता हुआ हवा का एक झोंका आया 
तस्वीर बेटी की वो अपने साथ उड़ा ले गया 

दिल क्रंदन करने लगा थी वो ज़िंदगी मेरी 
नही थी वो तस्वीर वो तो थी बेटी मेरी 

करता हू प्यार बेहद उसे वापस मे कैसे लाउ 
दिल करता हे पुकार वो बेटी अब मे कहा से लाउ 


वो बेटी अब मे कहा से लाउ........... 




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